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what is digital arrest? क्या है डिजिटल अरेस्ट और कैसे यह आपको बर्बाद कर सकता है?
- November 20, 2024
- Posted by: Pawan Panwar
- Category: cybersecurity
जैसे कि हम देख पा रहें हैं कि हमारे देश में डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहें हैं और थमने का नाम ही नहीं ले रहें हैं। ऐसे में ये माना जा रहा है कि हमे इस व्यापक समस्या को रोकने के लिए कई नए पैतरों का सहारा लेना ही होगा जिससे कि इस बढ़ती समस्या का कुछ समाधान हो पाए। मिनिस्ट्री ऑफ़ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन सिक्योरिटी (Ministry of Electronics and Information Security — MeitY) की माने तो पेशेवर साइबर ठगों ने अब तक देश में डिजिटल अरेस्ट करके मासूम लोगों से कई अरबों रुपयों की ठगी की है।
हाल ही में, वर्धमान ग्रुप के मालिक को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के ज़रिये लगभग 7 करोड़ रुपयों का चुना लगाया है। जब इतने बड़े लोग भी इस ठगों की चपेट में आ जातें हैं तो ऐसा लगता है कि देश में चल रही इस डिजिटल अरेस्ट की लहर से बचना लगभग नामुमकिन है, लेकिन ऐसा नहीं है। यदि आप थोड़े भी सजग हैं और जागरूक हैं तो साइबर ठग आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। आज की इस खास पेशकश में हम आपको इस डिजिटल अरेस्ट की व्यापक समस्या से निदान दिलाने के लिए कुछ बेहतर तरीके लेकर आये हैं जिनका इस्तेमाल करके आप वाकई में ही इससे बच सकतें हैं।
क्या है डिजिटल अरेस्ट? (What is Digital Arrest?)
वर्तमान समय में, डिजिटल अरेस्ट देश में सबसे बड़ी ब्लैकमेलिंग की तकनीक के रूप में उभर के आया है। डिजिटल अरेस्ट के पैतरों से आये दिन साइबर ठग बड़ी बड़ी ठगी और डिजिटल चोरियों को अंजाम देते हैं। मूल रूप से, डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार वही लोग होते हैं जो अधिक पढ़े लिखे और अधिक होशियार होते हैं। आसान शब्दों में, वीडियो कॉल के माध्यम से आपको ऑनलाइन धमकी देकर जिसमें आपको ये सोचने पर मजबूर कर दिया जाता है कि आपसे कोई गुनाह हो गया है जिससे आपको जेल जाने तक की नौबत आ गयी है, यदि आपको उससे बचना है तो कोई कीमत चुकानी होगी।
ऐसे में ठग आपसे आपका आई.डी. प्रूफ (ID Proof) माँग कर उसी का किसी गैर-कानूनी गतिविधि में होने का झांसा देकर आपको फंसाते हैं और आपको हर वक़्त कैमरा के सामने रहकर डिजिटल अरेस्ट होने को मजबूर करते हैं। डिजिटल अरेस्ट के दौरान, आप पर नजर रखते हुए, साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं। बात करते-करते साइबर ठग टारगेट से केस को जल्द से जल्द खत्म करवाने के नाम पर पैसे की मांग करते हैं और एक भरी-भरकम रकम उसी समय ट्रांसफर करवाते हैं।
कैसे होती है डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत? (How Does Digital Arrest Get Start?)
आमतौर पर डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत एक मैसेज या फ़ोन कॉल के साथ होती है। यदि मैसेज आता है तो उसमे यह दर्शाया जाता है कि आपका नंबर बहुत जल्द बंद होने वाला है और टारगेट चाहे तो उसे बंद होने से रोक सकता है एक दिए हुए लिंक पर क्लिक कर के। यदि टारगेट उस लिंक पर क्लिक करता है तो उसका नंबर तुरंत 1 पेशेवर साइबर ठग के पास पहुँच जाता है और वह ठग टारगेट पर फ्रॉड मैसेज और कॉल की प्रक्रिया शुरू कर देता है जो आखिर में डिजिटल अरेस्ट पर जाकर ही खत्म होती है।
इसके अलावा, यदि टारगेट के पास कोई कॉल आता है तो उस कॉल में IVR द्वारा यही बोला जाता है कि “आपका नंबर बहुत जल्द बंद होने वाला है, यदि आप इसे बंद होने से रोकना चाहते हैं तो 1 दबाएं।” यदि टारगेट 1 अंक को क्लिक कर देता है तो फिर वही प्रक्रिया शुरू हो जाती है और एक पेशेवर ठग का ऑडियो और वीडियो कॉल आना शुरू हो जाता है जो कि आख़िरकार डिजिटल अरेस्ट पर आकर ही खत्म होता है।
इसके अंदर ही एक ठग पुलिस अफसर का भेष लेकर कॉल करता है और टारगेट को पूरी तरह झांसे में ले लेता है। बातों ही बातों में वह टारगेट को ये यकीन दिला देता है कि टारगेट से जाने-अनजाने में एक बहुत ही संगीन अपराध हो गया है जिसकी वजह से पुलिस की कार्यवाही चालू है और बहुत ही जल्द उसके घर पर वारंट आ सकता है। इसी केस से बचने के लिए टारगेट ठग को पैसे देने पर तैयार हो जातें हैं।
डिजिटल अरेस्ट के दौरान ठग टारगेट को पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से होने का दम भरतें हैं। ऐसे में वो कई बातें टार्गेट्स को कह सकते हैं, जैसे कि:
- वो टारगेट को बताते हैं कि किसी अन्य स्थान पर की गई रेड के दौरान उन्हें कई क्रेडिट या डेबिट कार्ड्स बरामद हुए हैं जो कि टारगेट की ही आई.डी. पर इशू हुए हैं। ऐसे में टारगेट विक्टिम डर जातें हैं कि वे किसी बड़े केस में न फंस जाये, इसी डर से वे इस कलेश में फसते चले जातें हैं और ठग को पैसे तक दे देतें हैं। ऐसे में वो लोग मनी लॉन्डरिंग (Money Laundering) जैसे पेचीदा केसों की भी बात करते हैं जिससे कि टारगेट डर जाये और बचने के नाम पर आराम से पैसे दे दे।
- अन्य बार, डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत एक मैसेज या फोन कॉल के साथ होती है। डिजिटल अरेस्ट करने वाले ठग लोगों को फोन करके कहते हैं कि वे पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से बात कर रहे हैं। आगे वे कहतें हैं कि आपके पैन और आधार का इस्तेमाल करते हुए कई चीजें खरीदी गई हैं या फिर मनी लॉन्ड्रिंग की गई है।
- इसके अतिरिक्त कई बार यह भी दावा किया जाता है कि वे कस्टम विभाग से बोल रहे हैं और टार्गेट्स के नाम से कोई पार्सल आया है जिसमें भारत सरकार द्वारा ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजें हैं।
इन सब बातों में से कुछ भी कहने के बाद वो वीडियो कॉल के दौरान ये भी कहतें हैं कि टारगेट अब कहीं जा नहीं सकता और उसे बिलकुल कैमरा के सामने बैठे ही रहना होगा। इसी प्रक्रिया को डिजिटल अरेस्ट कहतें हैं। इस अंतराल में टारगेट को किसी से भी बात करने, फ़ोन करने, मेसेज करने, किसी से उसी समय पर मिलने की इजाजत नहीं होती।
ऐसे में डरे हुए विक्टिम्स से पैसे की मांग होती है जो कि आमतौर पर आसानी से पूरी भी हो जाती है। अपने ही घर, ऑफिस, या किसी अन्य स्थान पर ऑनलाइन कैद होने को ही डिजिटल अरेस्ट कहते हैं।
डिजिटल अरेस्ट के ऊपर एक बहुत ही अच्छी और ज्ञानवर्धक वीडियो यूट्यूब पर उपलब्ध हैं जिसमे मोहित यादव, जो कि एक बहुत ही प्रख्यात साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट हैं, उनकी वीडियो है। इस वीडियो में उनके पास एक पेशेवर साइबर ठग का कॉल आता है जो कि किसी भी तरह उनसे पैसे निकलवाने के लिए उतारू है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये वीडियो पूर्णता सच है कि व इसमें दिखाए गए ठग असली है। अत्यधिक फेमस होने के कारण ही मोहित यादव जी के पास उस पेशेवर ठग का कॉल आता है जिसे वे 1 मौके में तब्दील करके मौके को भुना लेते हैं टीम द्वारा बनवा लेते हैं।
लगभग 2 घंटों से बड़ी इस वीडियो के दौरान आप देखेंगे की कैसे एक पेशेवर साइबर ठग अपनी कुटिल नीतियों व तकनीकों से टारगेट को एक ऐसे मायाजाल में फंसा लेते हैं जिसमे कोई भी मासूम व्यक्ति फंसा तो पैसे देकर ही लौटेगा।
डिजिटल अरेस्ट से बचने का रास्ता क्या है?
साफ़ शब्दों में कहें तो, डिजिटल अरेस्ट से बचने का सबसे आसान तरीका जानकारी है। यदि हर व्यक्ति को इस बात का इल्म है कि उसे किसी भी व्यक्ति से ऑनलाइन बात करते हुए क्या जानकारी देनी और क्या नहीं तो उसका डिजिटल अरेस्ट या किसी भी तरह की साइबर धोखा-धड़ी से होने वाले खतरे से बहुत हद तक राहत मिल जाती है।
जैसे की ऊपर की वीडियो में आप देख सकतें हैं कि डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत ही व्यक्ति के डर के साथ होती है। यदि कोई मैसेज या ई-मेल आता है तो उसे सबूत के तौर पर पुलिस को दें। यदि किसी कारण आपने कॉल रिसीव कर लिया और आपको वीडियो कॉल पर कोई धमकी देने लगा तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करें और शिकायत करें। यदि आपको किसी भी तरह से कोई ऐसा कॉल आता है जिसमे व्यक्ति आपको कोई भी आपराधिक गतिविधि में लिप्त होने के केस की जानकारी देता है और डराकर पैसे मांगता है तो आपको बिना डरे केवल यही कहना है कि मै अपने वकील से बात करके ही आपसे इस बारे में बात कर पाउँगा। और उसके बाद उसकी बात सुने बिना कॉल काट दे और साइबर हेल्पलाइन 1930 और पुलिस हेल्पलाइन 100 पर फ़ोन करके उन्हें इस बात की पूर्ण जानकारी दें।
याद रहे, जब आपने कोई पार्सल मंगवाया ही नहीं तो ड्रग्स आने का सवाल ही नहीं होता। इसके अलावा आज के पूर्ण रूप से साइबर सिक्योरिटी वाले युग में बिना OTP के कोई काम नहीं होता तो आपका कोई भी डेटा बिना आपकी परमिशन के कहीं भी नहीं जा सकता तो किसी के पास भी आपके नाम का डेबिट या क्रेडिट कार्ड पाए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
किसी भी कीमत पर डरें नहीं और पैसे तो बिलकुल भी ना भेजें। आपका डर ही उनकी जीत है।
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